उत्तराखण्ड
वन ग्रामों को उजड़ने से बचाने के लिए इंकलाबी नौजवान सभा की बैठक।
रामनगर।इंकलाबी नौजवान सभा व छात्र संगठन आइसा कार्यकर्ताओं द्वारा वन ग्राम पटरानी में बैठक की गई। बैठक में उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार के दिशा निर्देश पर वन विभाग द्वारा विभिन्न वन ग्रामों, गुर्जर खत्तों को हटाने की तैयारी और विभिन्न धर्मों की आस्था के केन्द्र मजारों और मंदिरों को तोड़ने पर क्षोभ व्यक्त किया गया। बैठक में चिंता जाहिर की गई कि जिस तरह भाजपा द्वारा अतिक्रमण हटाओ अभियान को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है और जनता को विभाजित कर फूट डालो और राज करो की नीति अपनाते हुए बेघर करने का काम किया जा रहा है, यह उत्तराखण्ड की साझी संस्कृति पर सीधा हमला है और इसका बहुत ही गलत संदेश समाज में जा रहा है।
इस मौके पर भाकपा माले के नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “उत्तराखण्ड राज्य में अतिक्रमण हटाओ अभियान के नाम पर जिस तरह की तेजी दिखाकर बड़े पैमाने पर गरीबों भूमिहीनों और खास तौर पर दलितों अल्पसंखकों को उजाड़ने की कार्यवाही चल रही है उससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह काम वन विभाग के स्तर पर नहीं बल्कि भाजपा की धामी सरकार के सीधे निर्देश पर हो रहा है और इस कार्य को केन्द्र की मोदी सरकार का वरदहस्त हासिल है।”
उन्होंने कहा कि, “पहले वन खत्तों में रहने वाले गुर्जरों और मजदूरों को नोटिस दिया गया, उसके बाद सभी धर्मों की आस्था के केन्द्र मजारों को तोड़ा गया उसके बाद रामनगर के वन गांवों पुछड़ी, कालूसिद्ध को हटाने की घोषणा कर दी गई। और अब जानकारी मिली है कि पटरानी समेत विभिन्न वन ग्रामों को भी हटाने की तैयारी की जा रही है। राज्य सरकार को बताना चाहिए कि जिस हजारों की आबादी को यह सरकार उजाड़ने का काम कर रही है वह आबादी कहां जायेगी। गौरतलब बात यह है कि जिनके घरों आवास पर बुलडोजर सरकार चलाने जा रही है उनमें अधिकांशतः बेहद गरीब, दलित, अल्पसंख्यक लोग हैं। कोढ़ में खाज यह है कि संघ परिवार से जुड़े सभी संगठन इस तरह के सभी मामलों को पूरी तरह विभाजनकारी राजनीति का मोड़ देने में जुटे हैं।” उन्होंने मांग की कि, “वन गांवों, वन खत्तों, गुर्जर खत्तों के हजारों निवासियों को हटाने की कोशिश पर रोक लगाई जाए।”
इंकलाबी नौजवान सभा की सह संयोजक रेखा आर्य ने कहा कि, “होना तो यह चाहिए था कि आजादी का अमृतकाल मना रही सरकार को वन गांवों को अधिक सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए थी लेकिन इसके ठीक उलट दशकों से बसे वन ग्राम वासियों को हटाने की बात सरकार कर रही है।”
माले, इंकलाबी नौजवान सभा, आइसा नेताओं ने पटरानी की जनता के साथ बैठक कर भविष्य में किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहने और सभी वन ग्रामों की जनता का संघर्ष मोर्चा बनाकर एकताबद्ध संघर्ष करने के बारे में विस्तार से चर्चा की। यह तय किया गया कि पटरानी गांव समेत सभी वन गांवों को बचाने की लड़ाई के लिए सभी लोग शामिल रहेगें। साथ ही मांग की गई वन गांवों, खत्तों का स्थायीकरण करते हुए मूलभूत नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। पुछड़ी, कालूसिद्ध, नई बस्ती रामनगर और नगीना कॉलोनी लालकुआं के लोगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए पुछड़ी, कालूसिद्ध, नई बस्ती को उजाड़ने की कार्यवाही पर रोक लगाने और नगीना कॉलोनी के उजाड़े गए लोगों के लिए समुचित आवास की व्यवस्था की मांग की गई।
इस अवसर पर भाकपा माले नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय, इंकलाबी नौजवान सभा की सह संयोजक रेखा आर्य, आइसा नेता रिंकी आर्य, जानकी देवी, अजय कुमार, विकास चन्द्र, संदीप कोहली, अर्जुन कुमार, मनीषा, हिमानी, लवली, अंजली,उषा राठौड़, ललिता देवी, सोनी देवी, मालती देवी, चंचला, वैजयंती, आयुष, सरिता, रीना आदि शामिल रहे।