उत्तराखण्ड
रामनगर में शोक सभा: मरचूला बस दुर्घटना पर श्रद्धांजलि और सरकार की नीतियों पर सवाल
रामनगर (नैनीताल): मरचूला बस दुर्घटना में असमय काल का ग्रास बने 36 लोगों की याद में संयुक्त संघर्ष समिति ने लखनपुर चौक पर शोक सभा का आयोजन किया, जहाँ श्रद्धांजलि स्वरूप दो मिनट का मौन रखा गया। इस मौके पर समिति के सदस्यों और वक्ताओं ने दुर्घटना में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी और सरकार की जनविरोधी नीतियों पर तीखा प्रहार किया।
वक्ताओं का कहना था कि दुर्घटनाओं के बाद घायल व्यक्तियों का जीवन बचाने में पहला घंटा, जिसे गोल्डन आवर कहा जाता है, अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान यदि घायल को समय पर अस्पताल पहुंचाया जाए तो जान बचने की संभावना बढ़ जाती है। मरचूला बस हादसे में घायलों को चार से पाँच घंटे तक चिकित्सा नहीं मिल पाई, जिससे कई जिंदगियाँ समय पर इलाज के अभाव में खत्म हो गईं। इसी के साथ सरकार की एयर एंबुलेंस भी नहीं भेजी गई, जो घायलों के प्रति प्रशासन की उदासीनता का जीता-जागता प्रमाण है। वक्ताओं ने इस घटना को भाजपा सरकार की स्वास्थ्य और परिवहन नीति की विफलता बताते हुए कड़ी आलोचना की।
सभा में रामनगर अस्पताल की खराब स्थिति पर भी गंभीर सवाल उठाए गए। हर महीने दो करोड़ रुपये का भुगतान होने के बावजूद, यहाँ इलाज की बुनियादी सुविधाएँ तक उपलब्ध नहीं हैं, जो सरकार के संसाधनों के दुरुपयोग को दर्शाता है। वक्ताओं ने कहा कि जनता की आवाज उठाना लोकतंत्र में सभी का अधिकार है और उन लोगों का विरोध सम्मानजनक है, जो सरकार की विफलताओं के खिलाफ आवाज उठाते हैं।
समिति ने माँग की कि:
1. रामनगर अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाया जाए।
2. मृतकों के परिवारों को 20 लाख रुपये तथा घायलों को 10 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।
3. पहाड़ी रूटों पर सरकारी बसों की संख्या बढ़ाई जाए।
4. उत्तराखंड के सभी सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ।
इस शोक सभा में महिला एकता मंच, उपपा, इंकलाबी मजदूर केंद्र, समाजवादी लोक मंच, किसान संघर्ष समिति, भाकपा-माले सहित अनेक संगठनों के सदस्य और बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।