उत्तराखण्ड
भगोड़ा, भाड़े का शूटर और छह मुकदमों में वांछित ‘गोपी’ आखिरकार गिरफ्तार – 8 साल बाद STF और रामनगर पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में लगा शिकंजा
भगोड़ा, भाड़े का शूटर और छह मुकदमों में वांछित ‘गोपी’ आखिरकार गिरफ्तार – 8 साल बाद STF और रामनगर पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में लगा शिकंजा
उत्तराखंड में कानून से लुका-छिपी का खेल खेल रहे इनामी अपराधी गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी की आज आखिरकार गिरफ्तारी हो गई। आठ साल से फरार चल रहे और खुद को ‘शार्पशूटर’ बताकर कानून को ठेंगा दिखा रहे इस अपराधी को एसटीएफ और रामनगर पुलिस की संयुक्त घेराबंदी ने रंगेहाथ दबोच लिया।
ये वही गुरप्रीत गोपी है, जिसने 2016 में रुद्रपुर में एक प्रधान की कॉन्ट्रैक्ट किलिंग की थी और 2017 में रामनगर में पुलिस पार्टी पर गोलियां चलाई थीं। इन दोनों मामलों में वह जमानत लेकर फरार हो गया था, और फिर विदेश भाग गया था। उसके नाम पर हत्या, हत्या की कोशिश, गैंगस्टर एक्ट और आर्म्स एक्ट जैसे संगीन धाराओं में कुल 6 मुकदमे दर्ज हैं। कोर्ट ने उसे ‘भगोड़ा’ घोषित किया हुआ था।
शूटआउट से लेकर भगोड़ा बनने तक – अपराध की पूरी स्क्रिप्ट
गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी मेरठ के हस्तिनापुर इलाके का रहने वाला है। उसका अपराधी जीवन किसी बॉलीवुड विलेन की स्क्रिप्ट से कम नहीं—भाड़े की हत्या, हथियारों से लैस गिरोह, और पुलिस पार्टी पर जानलेवा हमला। 2016 में रुद्रपुर में एक प्रधान की दिनदहाड़े हत्या और 2017 में रामनगर में पुलिस पार्टी पर की गई फायरिंग उसके ‘क्राइम पोर्टफोलियो’ के सबसे काले अध्याय हैं।
रामनगर गोलीकांड की एफआईआर के अनुसार, पुलिस नाके पर रोकने पर गोपी और उसके साथियों ने पुलिस पर जानलेवा फायरिंग की थी। हालांकि कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन इसके बाद गोपी जमानत पर छूटकर गायब हो गया। इस पर स्थानीय अदालत ने स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था और इनामी अपराधी घोषित कर दिया गया था।
10 हजार का इनाम – STF की सूचनाएं रंग लाई
करीब एक महीने की तकनीकी निगरानी, मुखबिर तंत्र और फिजिकल ट्रैकिंग के बाद एसटीएफ की कुमाऊं यूनिट ने आखिरकार गुरप्रीत को रामनगर क्षेत्र में घेरने की योजना बनाई। आज दोपहर जब इनपुट पुख्ता हुआ तो रामनगर पुलिस के साथ एक ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया गया। शहर में नाकेबंदी की गई, चारों ओर से घेरेबंदी हुई और आखिरकार वो शूटर गिरफ़्तार कर लिया गया जो खुद को कानून से ऊपर समझ बैठा था।
गिरफ्तारी के बाद गुरप्रीत को कोर्ट में पेश किया गया और अब उत्तराखंड और पंजाब के थानों को उसकी गिरफ्तारी की सूचना भेज दी गई है।
इस गिरफ़्तारी ने कई सवाल भी खड़े किए हैं—
- आखिर कैसे एक इतना बड़ा अपराधी सालों तक खुलेआम घूमता रहा?
- वह विदेश तक कैसे भागा और वहां क्या करता रहा?
- क्या उसके पीछे कोई नेटवर्क था जो उसे छिपा रहा था?
- और सबसे अहम सवाल – अब जब वो पकड़ा गया है, तो क्या उसका पूरा गैंग बेनकाब होगा?
शूटर नहीं, समाज के लिए खतरा है ‘गोपी’
जो अपराधी प्रधान की हत्या कर सके, पुलिस पर गोली चला सके और फिर विदेश भाग जाए—वो महज शूटर नहीं, बल्कि समाज के लिए चलती-फिरती तबाही है। ऐसे अपराधी कानून की कमजोरी को नहीं, बल्कि सिस्टम की सहनशीलता को चुनौती देते हैं। ऐसे में जरूरी है कि न सिर्फ गुरप्रीत बल्कि उसके साथियों, नेटवर्क और मददगारों तक कानून का शिकंजा पहुंचे।
टीमों की भूमिका – ये थे ऑपरेशन में शामिल
एसटीएफ टीम:
- निरीक्षक एम.पी. सिंह
- उपनिरीक्षक बृजभूषण गुररानी
- हेड कांस्टेबल जगपाल सिंह
- हेड कांस्टेबल रियाज अख्तर
- कांस्टेबल गुरवंत सिंह
रामनगर पुलिस टीम:
- प्रभारी निरीक्षक अरुण सैनी
- एसएसआई मनोज नयाल
- कांस्टेबल विपिन शर्मा
- कांस्टेबल भूपेन्द्र
- कांस्टेबल ललित
रामनगर से गुरप्रीत उर्फ गोपी की गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की धरपकड़ नहीं, बल्कि उस मानसिकता के खिलाफ कार्रवाई है जो अपराध को ग्लैमर समझकर अपराधियों को ‘शार्पशूटर’ और ‘गैंगस्टर’ बनाकर सोशल मीडिया पर पेश करती है।







