उत्तराखण्ड
नवरात्रि में शराब की दुकान खोल सरकार ने दिया ‘तौहफा’, पाटकोट की महिलाओं का उग्र प्रदर्शन—’हमें अस्पताल चाहिए, ठेका नहीं!’
नवरात्रि में शराब की दुकान खोल सरकार ने दिया ‘तौहफा’, पाटकोट की महिलाओं का उग्र प्रदर्शन—’हमें अस्पताल चाहिए, ठेका नहीं!’
रामनगर (नैनीताल)।
‘हमें स्कूल चाहिए, अस्पताल चाहिए, खेती के लिए पानी चाहिए… लेकिन सरकार दे रही है शराब!’ — ये नाराज़गी थी उन सैकड़ों महिलाओं की, जो पाटकोट में शराब की दुकान के विरोध में डटकर खड़ी हो गईं। सरकार ने जिस समय नई शराब की दुकान खोलने का फरमान जारी किया, वह भी नवरात्रि जैसे पवित्र पर्व पर, उसी समय गांव की महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया। विरोध इतना ज़बरदस्त रहा कि दुकान फिलहाल बंद कर दी गई है।
मौके पर पहुँची पुलिस ने जब समझाने की कोशिश की, तो महिलाएं और भड़क गईं। उन्होंने साफ़ कहा— ‘सरकार नवरात्रि में देवी की पूजा करने की बात करती है, और हमें शराब का जहर परोस रही है। ये कैसा सनातन धर्म है?’
प्रदर्शनकारी महिलाएं नारेबाज़ी करते हुए घंटों तक शराब दुकान के सामने बैठीं रहीं। वे कह रही थीं कि उनके गांव में वर्षों से कोई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है, स्कूल में शिक्षक नहीं हैं, और खेतों के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, लेकिन सरकार को सबसे ज़्यादा चिंता शराब बेचने की है।
‘हम अपने बच्चों को संस्कार सिखाते हैं, सरकार उन्हें शराब सिखा रही है’
गांव की एक बुजुर्ग महिला ने गुस्से में कहा— ‘अगर सरकार को राजस्व कमाना है, तो हमारी बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई-कढ़ाई केंद्र खोले। शराब की दुकान खोलना तो गांव को बर्बादी की ओर ले जाने वाला फैसला है।’
महिलाओं के बीच पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र शर्मा ने भी सरकार को जमकर लताड़ा। उन्होंने कहा—
‘यह कैसी सनातनी सरकार है जो नवरात्रि जैसे पवित्र पर्व पर शराब की दुकानें खोल रही है? सरकार अगर इस फैसले को तुरंत वापस नहीं लेती, तो यह आंदोलन और तेज़ होगा।’
सरकार पर सवाल—क्यों नहीं दिखता ग्रामीणों का दर्द?
सवाल ये है कि जब गांवों में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, तो सरकार की प्राथमिकता शराब क्यों है? क्या राज्य की तरक्की अब शराब की बिक्री से मापी जाएगी? क्या नवरात्रि जैसे पर्व पर शराब की दुकान खोलना सनातन संस्कृति का अपमान नहीं?




