उत्तराखण्ड
रामनगर गैंगवार अपडेट: एक युवक की हत्या में मुख्य आरोपी सहित 6 गिरफ्तार, पर असली सवाल अब भी बाकी हैं!
रामनगर गैंगवार अपडेट: एक युवक की हत्या में मुख्य आरोपी सहित 6 गिरफ्तार, पर असली सवाल अब भी बाकी हैं!
रामनगर (एटम बम न्यूज़ ब्यूरो)।
रामनगर हाईवे पर खुलेआम हुई खूनी गैंगवार की घटना को अभी चंद दिन ही बीते हैं और अब इस मामले में पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जिन लोगों ने बीच सड़क को अखाड़ा बना दिया, जिनके कारण एक नौजवान की जान चली गई — अब वे सलाखों के पीछे हैं। लेकिन असली सवाल यह है कि आखिर रामनगर की सड़कों पर ऐसे अपराधी बेलगाम कैसे घूम रहे थे?
क्या हुआ था उस रात?
13 जून 2025 की रात शाने-ए-पंजाब ढाबे के सामने रामनगर हाईवे पर दो गुटों के लड़कों में जबरदस्त मारपीट हुई थी। लाठी-डंडे, लोहे की रॉड और नुकीले हथियार खुलेआम चलाए गए। इसी झगड़े में बेड़ाझाल निवासी सारिम की सीने में नुकीले हथियार से वार कर हत्या कर दी गई थी।
घायल सिकंदर को अस्पताल ले जाया गया और दूसरी ओर, मृत सारिम को ई-रिक्शा में लाकर छोड़ने वाले भाग निकले थे।
वारदात के बाद मृतक के पिता असरफ की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसमें सिकंदर समेत कई युवकों को नामजद किया गया था।
गिरफ्तार हुए ये चेहरे, जिन पर लगा है खून का दाग
अब जो नाम पुलिस ने पकड़ लिए हैं, उनमें अधिकतर उसी मोहल्ले से हैं — गुलरघट्टी और वार्ड नंबर 9 से:
- सिकंदर पुत्र उस्मान
- मोहम्मद आसिफ पुत्र मोहम्मद उमर
- अदनान पुत्र गुलफाम
- शाहरूख पुत्र यूसुफ
- फैजान पुत्र इसराइल
- दानिश पुत्र नसीम
ये वही नाम हैं जिनके लिए दोस्ती, ईगो और लड़कियों को लेकर रंजिश इतनी बड़ी बन गई कि सड़क पर खून बहाने से भी नहीं हिचकिचाए।
क्या अब सड़कों पर खून ही बहेगा?
अब एक नौजवान की लाश पड़ी है, उसके मां-बाप की आंखें नम हैं, और समाज में यह डर बैठ गया है कि कल किसका नंबर आएगा?
रामनगर में युवाओं का गिरते चारित्रिक स्तर और गुटबाजी का बढ़ता ज़हर साफ दिख रहा है। क्या अब हर झगड़ा हत्या में बदलता जाएगा?
पुलिस ने बरामद किया –
- एक नुकीला हत्या में प्रयुक्त हथियार (आला-ए-कत्ल)
- मृतक सारिम की मोटरसाइकिल (UK 19 B 0306)
कानून का शिकंजा कसना जरूरी है, वरना गैंग बनते रहेंगे
इस पूरे घटनाक्रम से ये तो साफ है कि रामनगर में कुछ इलाकों में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि उन्हें कानून का कोई डर नहीं रहा।
यह पहली बार नहीं है जब लड़कों के गुट आपसी रंजिश में हथियार निकाल कर क़ानून-व्यवस्था को ठेंगा दिखा रहे हैं। असली सवाल यही है कि क्या हम अपराध होने के बाद ही कार्रवाई करेंगे या पहले से ऐसा माहौल बनाएंगे कि अपराध करने से पहले ही डर लगे?
आखिरी सवाल – सज़ा कब और कैसी?
अब ये छह चेहरे सलाखों के पीछे हैं, लेकिन क्या इन्हें सज़ा मिलेगी? या फिर कुछ महीने, कुछ साल बाद ये फिर समाज में उसी अंदाज़ में लौटेंगे?
सरकार, प्रशासन और समाज — तीनों को मिलकर ये तय करना होगा कि रामनगर जैसे शांतिपूर्ण कस्बे को अपराधियों का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा।







