उत्तराखण्ड
दयारामपुर टांडा में सादगी बनाम संपन्नता का मुकाबला, शिक्षिका मीना रावत मैदान में
दयारामपुर टांडा में सादगी बनाम संपन्नता का मुकाबला, शिक्षिका मीना रावत मैदान में
रामनगर।
दयारामपुर टांडा की क्षेत्र पंचायत सीट पर इस बार का चुनाव सिर्फ़ दो उम्मीदवारों के बीच नहीं, बल्कि दो दृष्टिकोणों के बीच हो रहा है — एक ओर हैं शिक्षिका मीना रावत, जो शिक्षा और सादगी के सहारे जनसेवा का सपना लेकर उतरी हैं, वहीं दूसरी ओर हैं खनन और स्टोन क्रेशर कारोबार से जुड़ी एक प्रभावशाली उम्मीदवार।
मीना रावत पेशे से शिक्षिका हैं और पीरूमदारा में एक निजी स्कूल का संचालन करती हैं। वह रामनगर के दिवंगत विधायक स्वर्गीय योगम्बर सिंह रावत की पुत्रवधु हैं — जिन्हें क्षेत्र में ईमानदार और जनसेवक नेता के रूप में याद किया जाता है। मीना रावत के पति देशबंधु रावत सेना से सेवानिवृत्त हैं और अब सामाजिक कार्यों के ज़रिए जनसेवा में सक्रिय हैं।
इस चुनाव में मीना रावत किसी बड़े तामझाम या महंगे प्रचार अभियान के बिना, बेहद साधारण और जनसंपर्क आधारित शैली में अपना समर्थन जुटा रही हैं। वह लोगों के घर-घर जाकर अपनी बात कह रही हैं — नारेबाज़ी नहीं, संवाद पर ज़ोर दे रही हैं।
उनकी सादगी का यह अंदाज़ इलाके में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि उनके मुकाबले में जो प्रत्याशी मैदान में हैं, उनका संबंध स्टोन क्रशर और खनन व्यवसाय से है। ऐसे में यह चुनाव सादगी बनाम संपन्नता, सेवा बनाम व्यवसाय और जनसंपर्क बनाम प्रचार तंत्र के रूप में देखा जा रहा है।
मीना रावत ने कहा, “मैं शिक्षिका हूं, समाज में बदलाव के लिए स्कूल से लेकर पंचायत तक सक्रिय रहना मेरा मकसद है। चुनाव लड़ना मेरे लिए सत्ता का सवाल नहीं, सेवा का माध्यम है।”
यह भी चर्चा में है कि यदि मीना रावत यह चुनाव जीतती हैं, तो वह कांग्रेस से क्षेत्र पंचायत प्रमुख की दावेदार भी बन सकती हैं। हालांकि पार्टी ने अभी इस बाबत कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है।
दयारामपुर टांडा की यह सीट अब सिर्फ़ एक पंचायत चुनाव नहीं रह गई, बल्कि एक प्रतीक बन गई है — कि क्या जनता विकास और संवाद की सादगी चुनेगी या फिर रसूख और संसाधनों के प्रभाव को?







