उत्तराखण्ड
रामनगर: ग्रामीणों की बेदखली को लेकर संघर्ष, समिति ने 20 अक्टूबर की समय सीमा को बताया गैरकानूनी
रामनगर (नैनीताल) – संयुक्त संघर्ष समिति ने वन और पुलिस-प्रशासन द्वारा ग्राम पूछड़ी के 151 ग्रामीणों को बेदखली के लिए दी गई 20 अक्टूबर की समय सीमा को गैरकानूनी करार दिया है। समिति ने इसे भारतीय वन अधिनियम 1927 यथा उत्तरांचल संशोधन 2001 के प्रावधानों के खिलाफ बताया है और इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।
प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से समिति ने कहा कि उक्त अधिनियम के तहत बेदखली आदेश के बाद कार्यवाही के लिए 10 दिन की समय सीमा निर्धारित की गई है। लेकिन वन प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को आदेशों की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई थी, जिससे उनकी अपील का अधिकार भी प्रभावित हुआ।
14 अक्टूबर को समिति ने जिला प्रशासन, वन संरक्षक (पश्चिमी वृत हल्द्वानी) और एसडीएम रामनगर से ज्ञापन देकर बेदखली आदेशों की प्रति प्रभावित ग्रामीणों को उपलब्ध कराने की मांग की थी। इसके बाद, 15 अक्टूबर से वन प्रशासन द्वारा घर-घर जाकर ग्रामीणों को बेदखली के आदेश दिए गए।
ग्रामीणों ने अब इस आदेश के खिलाफ अपीलें दाखिल करना शुरू कर दिया है। वन अधिनियम 1927 के अनुसार, सभी प्रतिवादियों को अपील का अधिकार दिया गया है। 15 अक्टूबर के बाद से कई ग्रामीणों ने वन संरक्षक कार्यालय हल्द्वानी में अपनी अपीलें दाखिल कर दी हैं, और अन्य ग्रामीण भी अपनी अपील प्रस्तुत कर रहे हैं।
संयुक्त संघर्ष समिति ने मांग की है कि जब तक सभी अपीलों का निस्तारण नहीं हो जाता, तब तक 20 अक्टूबर के बाद बेदखली की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए। साथ ही, समिति ने पूछड़ी समेत सभी वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने की मांग की है ताकि ग्रामीणों के अधिकार सुरक्षित रह सकें।
संयुक्त संघर्ष समिति ने इस मुद्दे को जनहित का मामला बताते हुए प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। ग्रामीणों की अपील के साथ वन प्रशासन को भी उनके अधिकारों का सम्मान करते हुए बेदखली की कार्रवाई पर रोक लगाने की आवश्यकता है।