उत्तराखण्ड
महिला एकता मंच ने युद्ध विरोधी दिवस के रुप में मनाया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस।
रामनगर।अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला एकता मंच ने 8 मार्च अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस को युद्ध विरोधी दिवस के रुप में मनाया तथा यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित स्वदेश वापसी व रोजगार को मौलिक अधिकार का दर्जा देने की मांग की।
रामनगर शहीद पार्क से आरम्भ हुआ महिलाओं का जुलूस पुरानी तहसील पर पहुंचकर जनसभा में तब्दील हो गया।
कौशल्या के संचालन में हुयी सभा को संबोधित करते हुए मंच की संयोजक ललिता रावत ने कहा कि 8 मार्च शासक वर्गों की अमीर महिलाओं का नहीं बल्कि आम मेहनतकश शोषित-उत्पीड़ित महिलाओं का दिन है। उन्होंने आह्वान किया कि हम महिलाएं एकत्र होकर देश-दुनिया व समाज में मौजूद गैर बराबरी, गरीबी, अन्याय, लूट व शोषण के खिलाफ अपने संघर्षों को जारी रखें व उन्हें आगे बढ़ाने का संकल्प लें।
दिल्ली से आयी सीमा ने रुस द्वारा यूक्रेन पर किए गये हमले को समूची मानवता पर हमला करार देते हुए कहा कि यूरोप की धरती पर लड़ा जा रहा ये साम्राज्यवादी युद्ध भी पिछले युद्धों की तरह ही न केवल यूक्रेन की जनता के लिए बल्कि दुनिया की समूची जनता के लिए भी बेहद घातक है। इन युद्धों की कीमत हमारे देश की जनता को मंहगाई, बेरोजगारी व अभाव के रुप में चुकानी पड़ रही है।
ऊषा पटवाल ने कहा कि हमारे देश की सरकार एक तरफ आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है वहीं दूसरी तरफ हम महिलाओं की आज भी वास्तविक जीवन में बराबरी का अधिकार नहीं मिल पाया है।
सरस्वती जोशी ने बताया कि 10 मार्च को मालधन के वार्ड नं. 4 में देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जन्म दिवस पर एक सभा का आयोजन किया जाएगा तथा युद्ध के विरोध में मानव श्रंखला भी बनायी जाएगी।
सभा को प्रभात ध्यानी, मुनीष कुमार, ललित उप्रेती, महेश जोशी आदि वक्ताओं ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में दीपा, नीमा, अनीता, भगवती, कमला, पुष्पा, विभा, हेमा व राजेंद्र समेत सैकड़ों महिलाओ ने भागीदारी की।