उत्तराखण्ड
प्रधानमंत्री के पास पहुंचा पुरोला मामला,अल्पसंख्यक आयोग ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र
प्रधानमंत्री के पास पहुंचा पुरोला मामला,अल्पसंख्यक आयोग ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र
देहरादून। पुरोला से नाबालिग लड़की को भगाने के प्रयास और समुदाय विशेष के पलायन का मामला प्रधानमंत्री के पास पहुंच गया है। उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा, कुछ लोग मामले को सांप्रदायिक रंग देकर 70 साल से उत्तरकाशी में रहे लोगों को निशाना बना रहे हैं। आयोग की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है, उत्तरकाशी से समुदाय विशेष के लोगों ने आयोग को इससे संबंधित प्रार्थना पत्र, फोटो और वीडियो भेजे हैं। भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चे के जिलाध्यक्ष को भी दुकान व मकान खाली कर उत्तरकाशी से जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। लगभग 45 दुकानों में तोड़ फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं। जिसके बाद से समुदाय विशेष के लोग डर व खौफ में हैं।
वहीं दूसरी और उत्तरकाशी जिले के नगर पंचायत पुरोला से अब तक विशेष समुदाय के 11 दुकानदार दुकानें खाली कर पलायन कर चुके हैं। जिला प्रशासन की ओर से उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग को भेजी जांच रिपोर्ट से खुलासा हुआ है। देहरादून जिले के केदारावाला निवासी इंजीनियर फिरोज खान ने उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग से शिकायत की थी कि पुरोला में हिंसक प्रदर्शन कर मुस्लिम समुदाय के लोगों को क्षेत्र से पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। उनकी दुकानों पर चेतावनी भरे पोस्टर लगाए जा रहे हैं। इस घटना के बाद से मुस्लिम समुदाय के लोगों में डर बना है। इसके बाद आयोग ने डीएम उत्तरकाशी को मामले की जांच के आदेश दिए थे। जिला प्रशासन ने जांच के बाद 12 जून को आयोग को रिपोर्ट भेजी है। रिपोर्ट में कहा गया कि अब तक पुरोला से विशेष समुदाय के 11 दुकानदारों ने दुकानें खाली कर पलायन किया है, जिसमें तीन क्राॅकरी, एक फर्नीचर, एक रजाई गद्दा, एक आइसक्रीम, एक सब्जी भंडार व एक गारमेंटस शॉप है। एसडीएम पुरोला व तहसीलदार की ओर से भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया कि नाबालिग को भगाने वाले प्रकरण के विरोध में लोगों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान व्यापारियों ने अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रखे।
रिपोर्ट में बताया गया कि अल्पसंख्यक समुदाय के दुकानदारों को जबरन दुकानें खाली कराने, अन्य समुदाय की ओर से डराने धमकाने और दुकानें बंद रखने की कोई शिकायत नहीं है। रिपोर्ट में बताया गया कि अल्पसंख्यक समुदाय के दुकानदारों का कहना है उन्होंने खुद ही दुकानें बंद रखी हैं। बाजार में सामान्य स्थिति होने और व्यापार मंडल के सहयोग के बाद ही दुकानें खोलेंगे। रिपोर्ट में बताया गया कि व्यापार मंडल के पदाधिकारियों का कहना है कोई भी दुकानदार दुकान खोल सकता है। इसमें व्यापार मंडल दुकानदारों का सहयोग करेगा। दुकान खोलने पर पुलिस की ओर से भी पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
उत्तरकाशी के पुरोला में सामने आए नाबालिग हिंदू लड़की को भगाने के मामले ने इतना तूल पकड़ा कि देवभूमि की शांत फिजाओं में नफरत और सांप्रदायिकता का जहर घुलता चला गया। धीरे-धीरे पहाड़ के कई कस्बे और बाजार इस नफरती आंधी की चपेट में आ गए हैं।
गौरतलब हैं की विगत 26 मई को पुरोला कस्बे में अचानक यह ”लव जेहाद” की घटना सामने आई, जिसमें एक मुस्लिम युवक उबैद और एक अन्य युवक जितेंद्र सैनी को स्थानीय लोगों ने 9वीं कक्षा की नाबालिग स्थानीय हिंदू लड़की के साथ पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया था। पुलिस ने दोनों युवकों के खिलाफ पोक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। इस घटना के बाद से पुरोला में संप्रदाय विशेष के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने मोर्चा खोल दिया। संगठनों का दावा है कि युवक लड़की को बहका रहे थे। संप्रदाय विशेष के लोगों की दुकानों पर 15 जून से पहले दुकानें खाली करने और इलाका छोड़कर जाने से संबंधित पोस्टर चिपकाए गए। पुरोला में संप्रदाय विशेष के कारोबारियों की गारमेंट्स, फर्नीचर, फल, सब्जी और मोटर मैकेनिक की कई दुकानें हैं। इनमें से काफी लोग इलाका छोड़ चुके हैं। घटना के विरोध में उत्तरकाशी के पुरोला और बड़कोट में जुलूस के दौरान व्यापारियों के प्रतिष्ठानों के बोर्ड और बैनर भी फाड़े गए। बड़कोट में दुकानों पर क्रॉस के चिन्ह लगाए गए, जबकि पुरोला में पोस्टर चिपकाए गए। देवभूमि रक्षा अभियान की ओर से लगाए गए पोस्टरों पर लिखा है था कि, “लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 15 जून 2023 को होने वाली महापंचायत से पूर्व अपनी दुकानें खाली कर दें। यदि तुम्हारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता तो वह वक्त पर निर्भर करेगा। मामले में पुलिस ने कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। इस बीच पुरोला ब्लॉक के ग्राम प्रधान संगठन ने 15 जून को महापंचायत का एलान कर दिया। सोमवार को संगठन के अध्यक्ष अंकित सिंह रावत ने इसे शांतिपूर्ण आयोजन बताते हुए एसडीएम को ज्ञापन भी दे दिया। दूसरी ओर, विगत दो दिन पूर्व सोमवार को ही ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी इस विवाद में कूद पड़े। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि भाजपा सरकार का काम है कि गुनहगारों को जेल भेजे और जल्द अमन कायम हो।