उत्तराखण्ड
रामनगर में मुस्लिम बने किंग मेकर,अकरम ने रचा इतिहास, BJP फिर हुई चित!
रामनगर नगर पालिका परिषद चुनाव: हाजी मोहम्मद अकरम ने फिर रचा इतिहास, पांचवीं बार बने अध्यक्ष
रामनगर नगर पालिका परिषद चुनाव में हाजी मोहम्मद अकरम ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। 23 जनवरी को हुए मतदान का नतीजा आज घोषित किया गया, जिसमें अकरम ने चौथी बार लगातार और कुल मिलाकर पांचवीं बार जीत दर्ज की। इस जीत के साथ उन्होंने अपनी लोकप्रियता और जनता के बीच मजबूत पकड़ को फिर से साबित कर दिया।
भाजपा को फिर मिली करारी शिकस्त
भाजपा, जो नगर पालिका क्षेत्र के विस्तार के बाद यहां जीत के सपने देख रही थी, एक बार फिर अपनी रणनीतियों में असफल साबित हुई। भाजपा के उम्मीदवार मदन जोशी ने बहुसंख्यकों को “बटोगे तो कटोगे” जैसे नारों के सहारे एकजुट करने की कोशिश की, लेकिन खुद अपनी पार्टी में एकता नहीं बना पाए। भाजपा के भीतर की फूट और बागी उम्मीदवार नरेन्द्र शर्मा ने उनके लिए मुश्किलें और बढ़ा दीं।
कांग्रेस के फैसले ने भाजपा को पहुंचाया नुकसान
कांग्रेस ने इस बार किसी को पार्टी सिंबल नहीं दिया, जिससे भुवन पांडे जैसे निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में आ गए। पांडे का चुनाव लड़ना भाजपा के लिए घातक साबित हुआ, जबकि यह हाजी मोहम्मद अकरम के लिए फायदेमंद साबित हुआ। भुवन पांडे ने भाजपा के संभावित वोट बैंक को बुरी तरह विभाजित कर दिया, जिससे अकरम को सीधा लाभ मिला।
मुस्लिम एकता बनी जीत की कुंजी
हर बार की तरह इस बार भी निकाय चुनाव में मुस्लिम समुदाय हाजी मोहम्मद अकरम के साथ एकजुट रहा। गुलर घट्टी और खताड़ी इलाकों के मतदाता इस चुनाव में “किंग मेकर” साबित हुए। उन्होंने बिना किसी विभाजन के अकरम के पक्ष में एकतरफा मतदान किया, जिसने उनकी जीत को और सुनिश्चित कर दिया।
बीस साल पुराना इतिहास फिर दोहराया
यह पहली बार नहीं है जब हाजी मोहम्मद अकरम ने चुनावी मैदान में अपनी ताकत दिखाई है। 20 साल पहले उन्होंने वायुयान चुनाव चिन्ह के साथ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी। उस समय कांग्रेस ने पुष्कर दुर्गपाल को अपना उम्मीदवार बनाया था, जबकि भाजपा ने भागीरथ लाल चौधरी को मैदान में उतारा था और हेम भट्ट बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे।
अकरम का विजयी सफर
हाजी मोहम्मद अकरम की यह जीत उनकी रणनीति, जनता के बीच उनकी छवि और उनके काम के प्रति लोगों के विश्वास का प्रमाण है। पांचवीं बार अध्यक्ष बनकर उन्होंने यह दिखा दिया कि रामनगर की जनता उनके नेतृत्व पर भरोसा करती है।
भाजपा के लिए बड़ी सीख
इस हार ने भाजपा के लिए कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पार्टी को न केवल अपनी आंतरिक फूट पर ध्यान देना होगा, बल्कि स्थानीय मुद्दों और जनता की उम्मीदों को समझकर अपनी रणनीति बनानी होगी।
रामनगर नगर पालिका का यह चुनाव जहां हाजी मोहम्मद अकरम की ऐतिहासिक जीत के लिए याद रखा जाएगा, वहीं भाजपा के लिए यह आत्ममंथन का समय है। जनता ने एक बार फिर साफ संदेश दे दिया है—विकास और विश्वास ही चुनावी जीत की कुंजी है।