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उत्तराखण्ड

वायल ऑडियो और वीडियो पर कांग्रेस का कटाक्ष, सच जनता के सामने लाए सरकार

देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने एक विज्ञप्ति जारी कर भाजपा विधायक राम सिंह कैड़ा के सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ऑडियो वीडियो पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

माहरा ने कहा की बकौल भीमताल विधायक जिस व्यक्ति से बात कर रहे हैं, वह उत्तराखंड सरकार में मंत्री हैं, पर मंत्री महोदय कॉल पर होने से इनकार कर चुके हैं। ऐसे में उत्तराखंड सरकार और भाजपा संगठन को चाहिए कि वह बताएं कि वह अपने विधायक कैड़ा से पूछें कि उनके साथ फोन पर कौन व्यक्ति था, जिसे वह वन मंत्री बताकर स्थानीय जनता को भ्रमित कर रहे हैं। माहरा ने कहा कि यदि कैड़ा की बात में सच्चाई है तो वाकई स्थिति खेदजनक है। सार्वजनिक क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को इस तरह की भाषा शैली किसी सूरत में शोभा नहीं देती। जो वीडियो और ऑडियो वायरल हो रहा है, उसमें बीजेपी के एक विधायक और मंत्री की आपसी बातचीत सुनाई दे रही है। जिसमें भाजपा विधायक वन्य जीव और मानव संघर्ष में हुए नुकसान को लेकर मंत्री से दिशा निर्देश और मदद की दरकार कर रहे हैं।

माहरा ने कहा कि बातचीत बहुत ही निंदनीय है और उसमें दूसरा व्यक्ति उच्च न्यायालय के संबंध में बहुत ही अभद्र भाषा में आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए सुना जा सकता है। इतना ही नहीं बातचीत के दौरान वह व्यक्ति पीआईएल करने वाले को भी पकड़ने की और मारने की बात भाजपा विधायक से कर रहा है जो की बहुत ही निंदनीय है। महारा ने कहा कि सरकार का दोहरा चरित्र इसी बात से सामने आ जाता है कि पिछले दिनों  उद्यान विभाग में बड़ा भ्रष्टाचार उजागर हुआ जिसमें भाजपा विधायक और बड़े अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई और उच्च न्यायालय ने पूरे मामले की सीबीआई जांच  करने के  आदेश दिए। माहरा ने कहा कि अपने विधायक और अधिकारियों को फंसता देख धामी सरकार उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने की तैयारी कर रहा है।

वहीं दूसरी और वन्य जीव और मानव संघर्ष जैसे गंभीर प्रकरण जिससे उत्तराखंड का समूचा पर्वतीय अंचल आतंकित है ऐसे मामलों में उच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देकर या उसकी आड़ लेकर वन मंत्री अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने हुए साफ दिखाई दे रहे हैं। माहरा ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि को इस तरह की भाषा शैली कतई शोभा नहीं देती और यदि राम सिंह कैड़ा से बात करने वाले दूसरे व्यक्ति वन मंत्री है, यह बात सत्यापित हो जाती है तो मंत्री महोदय मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल का हिस्सा है। ऐसे में मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत हस्तक्षेप करके मंत्री से सार्वजनिक रूप से माफी मंगवानी चाहिए और उच्च न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेते हुए मंत्री पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि इस तरह के प्रकरणों की पुनरावृत्ति ना हो।

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