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उत्तराखण्ड

कन्या पूजन पर बेटियों की तलाश: आज के दिन समाज को बेटियों का महत्व समझ आया!

कन्या पूजन पर बेटियों की तलाश: आज के दिन समाज को बेटियों का महत्व समझ आया!

रामनगर (नैनीताल):
नवरात्रि की नवमी तिथि पर पूरे देश में कन्या पूजन की परंपरा निभाई जा रही है। लेकिन इस बार रामनगर समेत आस-पास के गांवों और मोहल्लों में एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। लोग घर-घर जाकर कन्याओं की तलाश कर रहे हैं—क्योंकि आज एक नहीं, नौ कन्याओं की पूजा होनी है और बहुत से घरों में नौ कन्याएं जुटा पाना मुश्किल साबित हो रहा है।

इस स्थिति ने समाज को एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जिन बेटियों को अब तक बोझ समझा जाता था, आज वही बेटियां पूजनीय बनी हुई हैं। हालत ये है कि एक ही कन्या को कई घरों में बुलाया जा रहा है, ताकि कन्या पूजन की परंपरा पूरी हो सके। कुछ मोहल्लों में तो बच्चों को साइकिल या स्कूटी पर बैठाकर एक घर से दूसरे घर ले जाते हुए देखा गया, ताकि वह एक ही दिन में कई बार पूजी जा सके।

ग्रामीण इलाकों में भी यही हाल है। लोग आसपास के गांवों में फोन करके या खुद जाकर कन्याएं बुला रहे हैं। यह सब कुछ उस समाज के लिए एक बड़ा संदेश है, जो आज भी बेटे की चाह में बेटियों की अहमियत को नजरअंदाज करता है।

आज के दिन यह बात हर किसी को सोचने पर मजबूर कर रही है कि जिस बेटी को कभी जन्म से पहले मारने की सोच रखी जाती है, आज वही बेटी नौ देवियों के रूप में पूजी जा रही है। यह दृश्य कहीं न कहीं समाज को आईना दिखा रहा है—कि बेटियों के बिना हमारी संस्कृति भी अधूरी है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सिर्फ एक नारा नहीं, आज की ज़रूरत है। कन्या पूजन के इस पर्व ने एक बार फिर हमें यह याद दिला दिया है कि बेटियां सिर्फ घर की नहीं, समाज की भी सबसे बड़ी पूंजी हैं।

— खुशाल रावत

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संपादक –

नाम: खुशाल सिंह रावत
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