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उत्तराखण्ड

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व:रस्म अदायगी तक सिमटा प्रोजेक्ट टाइगर का गोल्डन जुबली समारोह

रस्म अदायगी तक सिमटा प्रोजेक्ट टाइगर का गोल्डन जुबली समारोह

रामनगर।एक अप्रैल को देश में तत्कालीन केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट टाइगर कॉर्बेट पार्क से ही लागू हुआ था और प्रधानमंत्री स्वo इंदिरा गांधी ने इसकी लॉन्चिंग के लिए भारत के नौ नेशनल पार्कों में एक कॉर्बेट नेशनल पार्क को भी चुना था।
आज इसे पचास साल पूरे हो गए हैं और कॉर्बेट प्रशासन ने इसके लिए नगरपालिका सभागार में औपचारिकता पूरी करने को एक समारोह का आयोजन किया, जिसमें लचर व्यवस्था के बीच गिनती के लोगों को प्रॉजेक्ट टाइगर की महिमा का बखान किया गया। मौजूद दर्शकों में भी अधिकांश पार्क के ही कर्मचारी रहे। आयोजन की अहमियत कितनी है, इसका पता इस बात से भी लगता है कि वन विभाग और वन्यजीव विभाग से जुड़ा प्रदेश का कोई आला अधिकारी भी प्रोजेक्ट टाइगर के पचास साल के समारोह में नहीं आया। और ना ही राज्य अथवा केंद्र सरकार के कोई मंत्री इसमें आमंत्रित किए गए।
कॉर्बेट की पहचान में प्रोजेक्ट टाइगर से जुड़ने के बाद ज्यादा इजाफा हुआ है और यह पार्क प्रोजेक्ट टाइगर के लिए एक सक्सेस स्टोरी भी है। यहां दुनिया में रॉयल बंगाल टाइगर का सबसे ज्यादा घनत्व है। ऐसे में प्रोजेक्ट टाइगर के पचास साला जश्न का खासा महत्व है, किंतु पार्क प्रशासन ने इसे एक रस्मी औपचारिकता बनाकर निपटा दिया। इसे पार्क में हाल ही में उठे विवादों की छाया के रूप में देखा जा रहा है।
प्रोजेक्ट टाइगर के गोल्डन जुबली वर्ष में कॉर्बेट पार्क की 75 वीं वर्षगांठ याद आ रही है, जब पार्क प्रशासन ने इसे भव्य रूप में मनाया था और प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत कई विशिष्ट लोग अलग अलग कार्यक्रमों में शामिल हुए थे। आम जनता को भी इसमें शामिल किया गया था।
उस हिसाब से देखें तो प्रोजेक्ट टाइगर की गोल्डन जुबली का समारोह सस्ते में निपटा कर पार्क प्रशासन ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली।

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